कुल पेज दृश्य

गुरुवार, अगस्त 04, 2011

मुन्ना देख रहा है, सपना


मुन्ना देख रहा है, सपना
सपने में है कोई अपना

सपने में हैं नाना-नानी
उनकी वो ही कथा पुरानी
सूत कातती चंदा-मौंसी
दान बांटते राजा-रानी
युग बदला न बदले ये दो
समझ न पाए पढ़ना-लिखना

सपने में रंगीन तितलियां
फूल-फूल पर आती जातीं
सजी-धजी भंवरों की टोली
गुन-गुन-गुन-गुन गीत सुनाती
फूल महकते कलियां हंसतीं
खुशबू से महका घर-अंगना

सपने में हैं नटखट बौने
उछल-उछलकर नांच दिखाते
परियों की गोदी में बैठे
मुन्ना के मन को बहलाते
तारे आंख-मिचौंनी करते
मामा चांद ढुलाते पलना

सपने में हैं घोड़े हाथी
सपने में हैं सजे बराती
अपने चाचू की शादी में
मुन्ना बना हुआ है बरना

मुन्ना देख रहा है सपना
सपने में है कोई अपना

                          ओमप्रकाश कश्यप


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें