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शनिवार, अगस्त 20, 2011

मत रूठ गुड़िया रानी


मत रूठ गुड़िया रानी
तुझे चिज्जी खिलाऊंगी

एक रुपये की चुस्की खाना
आठ आने की टा॓फी
चार आने की चूरन-पुड़िया
देगी धन्नो काकी
मेले में चल एक रुपये की
गुल्लक दिलाऊंगी

गर्मागरम कचैड़ी खाना
लड्डू और पंजीरी
मेवा वाली खीर खिलाऊं
साथ में हलुआ-पूरी
सावन में तीजों से पहले
सूट नया सिलवाऊंगी

मामा जी से बोल चुकी हूं
ढूंढें कुंवर सलोना
चंदा जैसा रूप हो जिसका
दमके जैसे सोना
गाजे-बाजे-धूम-धमक से
तेरी शादी रचाऊंगी
                               ओमप्रकाश कश्यप
                                                                                               opkaashyap@gmail.com




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